Saturday, 29 September 2007

मेरी प्रांतसाहबी

मेरी प्रांतसाहबी
आई ए एस में आने के बाद 1 वर्षकी जिला ट्रेनिंग और अगले 2 वर्ष उसी पुणे जिले के हवेली सब डिविजन में सब डिविजनल ऑफिसर की पोस्टिंग में मैंने क्या देखा और क्या सीखा, उसका यह कच्चा-चिठ्ठा .... जो नया ज्ञानोदय के .... अंक में प्रकाशित हो चुका है।

ओर अब इसी नाम से मेरा तीसरा लेख संग्रह भी प्रकाशित हो चुका है।
मेरी प्रांतसाहबी
१० अगस्त १९७६ की तिथी थी जिस दिन मैंने हवेली असिस्टंट क्लेक्टर का पद संभाला। इससे पहले दो वर्षों का कार्यकाल प्रशिक्षण का था। वे दो वर्ष और अगले दो वर्ष- भारतीय प्रशासनिक सेवा की बसे कनिष्ठ श्रेणी के वर्ष होते हैं और जिम्मेदार अफसर बनने के अच्छे स्कूल का काम भी करते हैं। इस पोस्ट का नाम भी जबरदस्त है- असिस्टंट कलेक्टर या सब डिविजनल ऑफिसर। कहीं सब डिविजनल मॅजिस्ट्रेट भी। लेकिन महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में 'प्रांतसाहेब' अधिक परिचित संबोधन है। एकेक जिले में तीन या चार असिस्टंट कलेक्टर होते हैं। उनका काम और अधिकार कक्षा कलेक्टर के काम से काफी अलग, काफी सीमित क्षेत्रों में लेकिन वाकई में जमीनी सतह के होते हैं।
आगे लिंक पर पढें

-------------------------------------
kept on janta_ki.... Also

No comments: