॥ ९९॥ धानबस्ती पर एक गंभीर शाम ॥ ९९॥
सायंकाल।
शांत।
कई दिनों बाद ऐसी शांति पसरी थी धानबस्ती में। बाई पुटपुटाई-- धान भी अच्छा उगेगा इस बार।
पायडया ने गर्दन हिलाकर हाँ भरी।
मोड़ पर कुछ हलचल नही दिखी तो बाई ने कहा-- आदमी अभी नही लौटे।
पायडया ने फिर हाँ भरी।
धानबस्ती पर आजकल आदमी कम थे। सू और पिलू की संख्या अधिक थी।
आनेवाली हर सू, हर पिलू धानबस्ती को चाहिए।
अपने बहुत आदमी मरे।
ये सू आएंगी, नये पिलू जनेंगी तभी तो अपने आदमी बढेंगे।
आदमी कोई मिट्टी से थोड़े ही उपजता है धान की तरह?
कि डालो जमीन में बीज और उग आएं आदमी।
पायडया जोर से हंसने लगी।
बाई भी हंसने लगी। फिर बोली- इसीलिये मैंने सोटया को भेजा है कि उन सूओं को लाने।
पायडया ने गर्दन हिलाई। बोला- हाँ ठीक ही है। बस्ती बढाने में आदमी का क्या काम? यह तो सू ही कर सकती है।
बाई हंसी। तभी एक सू पिलू को ले आई। पिलू चीख चीख कर रो रहा था।
बाई ने देखा। गुस्सा होकर बोली- एकआंखी का पिलू है। भूख से रो रहा है। जाओ, ले जाकर उसके थान से लगा दो। वह मूरख सो रही होगी।
एक झोंपडी से फेंगाडया, कोमल
और कोमल का पिलू बाहर आए।
फेंगाडया ने चढाई के मोड़ को
देखकर पूछा- आए वे वापस?
बाई ने गर्दन हिलाई- अभी
नही।
फेंगाडया कोमल के साथ आगे बढ
गया।
जगह जगह अलाव जलने लगे।
उस पर खप्परों में धान पकाया
जाने लगा।
आज की शाम अलाव तापने
की..... धान की कहानी सुनाने की....... । बाई ने एक लम्बी साँस छोड़ी।
पायडया ने भी गर्दन हिलाई।
आँखों में आई नमी पोंछते हुए बोला-
औंढया देव ने ही भेजा
फेंगाडया को, पंगुल्या को। ये पंगुल्या। पंगु पैर वाला। एक पैर घिसट कर चलने वाला।
इसे भी ले लिया हमने बस्ती में। इसीसे.....
बाई गंभीर हो गई। बोली--
सुन रखो पायडया।
जो बस्ती सबको अपने में
समाएगी, सबको आश्रय देगी, वही बस्ती टिकेगी। वही जिएगी।
आने वाले में से कौन होगा
फेंगाडया? कौन पंगुल्या? ये पहले से कोई कैसे कह सकता है? जब वैसा समय आएगा तभी
उनकी परख होगी।
आने वाले में कोई बापजी भी
हो सकता है। पायडया ने धीरे से कहा।
बाई बोली- यह सही है। लेकिन
जो भी बापजी होगा, उसे यहाँ से भागना पडेगा। यहाँ केवल फेंगाडया ही जड़े जमा समता
है।
पायडया हंसा। बोला- आता हूँ।
देखूँ, सोटया कौन कौन सू ले आता है।
वह जल्दी जल्दी उठकर चढाई
चढने लगा।
बाई उसे एकटक देखती रही।
कौन जाने आने वाली सूओं भी
कोई निकले बाई की तरह। जो एक नई धानबस्ती को देख सके।
------------------------------------------------------------------
No comments:
Post a Comment